June 30, 2025 9:32 pm

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कांग्रेस से बाहर हुए नेता ‘घर वापसी’ को बेताब, रिज्वॉइनिंग के लिए रंधावा नहीं खोल रहे दरवाजा?

अब तक इंडिया न्यूज 26 जून । राजस्थान की सत्ता से बाहर होने के डेढ़ साल के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी केमिस्ट्री बनने के साथ ही कांग्रेस नेताओं के हौसले बढ़ गए हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बगावत करने वाले नेता अब ‘घर वापसी’ के लिए बेताब नजर आ रहे हैं. एक दर्जन के करीब पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और नेता हैं, जो पार्टी में लौटने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं, लेकिन कांग्रेस फिलहाल उनके रिज्वॉइनिंग के लिए दरवाजा खोलने को तैयार नहीं है.

2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कई नेताओं ने बागी तेवर अपना लिया था, जिसके चलते उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. अब डेढ़ साल के बाद दोबारा से कांग्रेस में लौटना चाहते हैं. राजस्थान के एक दर्जन से भी ज्यादा नेता हैं, जो पार्टी से बाहर होने के बाद वापसी की राह देख रहे हैं लेकिन कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के सख्त तेवर के चलते कांग्रेस का हाथ वो नहीं थाम पा रहे हैं.

कांग्रेस में वापसी के लिए बेताब नेता

कांग्रेस में वापसी के लिए पूर्व मंत्री अमीन खान, पूर्व विधायक मेवाराम जैन, गोपाल गुर्जर, रामचंद्र सराधना, बलराम यादव, कैलाश मीणा और खिलाड़ी लाल बैरवा जैसे नेता के नाम है. ये सभी नेता कभी अपने-अपने इलाकों में कांग्रेस के मजबूत चेहरे रहे हैं. इनमें कुछ नेताओं को राजस्थान के 2023 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया है, तो कुछ नेताओं के बड़बोलेपन की वजह से पार्टी से निष्कासित किया गया है.

अमीन खान जहां पांच बार विधायक और कई बार मंत्री रह चुके हैं, तो वहीं मेवाराम जैन लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं. अमीन खान को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद बाहर किया गया था, जबकि मेवाराम जैन का अश्लील वीडियो वायरल होने पर उन्हें निकाला गया था. पूर्व सांसद और पूर्व विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा को निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते निकाला था. पूर्व विधायक रहे रामचंद्र सराधना के आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ने के चलते निकाला गया. ऐसे ही गढी से विधायक रहे कैलाश मीणा को कांग्रेस से निकाला गया था. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत के पुत्र बालेंदु सिंह शेखावत निर्दलीय चुनाव मैदान लड़ने से चलते बाहर कर दिया था.

 

विधानसभा चुनाव के डेढ़ साल के बाद अब कांग्रेस में वापसी की जुगत लगा रहे हैं. प्रदेश नेतृत्व के सामने दंडवत होने के बाद दिल्ली तक जुगाड़ लगा रहे हैं, लेकिन फिलहाल कामयाबी नहीं मिली है. कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप तो स्पष्ट कह रही है कि कोई नेता अगर ‘बिना शर्त’ पार्टी में लौटना चाहता है, तो उसका स्वागत है, बशर्ते वह पार्टी की विचारधारा और हाईकमान के निर्देशों पर चले, लेकिन प्रदेश के प्रभारी उनकी घर वापसी में अड़चन बन गए हैं.

घर वापसी के क्यों नहीं खुल रहे दरवाजे

राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी से निष्कासित नेताओं के प्रति सख्त तेवर अपना रखा है. रंधावा ने साफ कहा है कि कांग्रेस में दोहरी नीति नहीं चलेगी, जो कांग्रेस का संविधान है, उसी के अनुरूप काम होगा. कांग्रेस ने अगर किसी नेता को निलंबित या बर्खास्त किया गया है तो तय समय से पहले वापसी नहीं होगी. इस तरह रंधावा ने कांग्रेस से निष्कासित हुए नेताओं के लिए घर वापसी के दरवाजे बंद कर दिए हैं. हालांकि, प्रदेश संगठन जरूर नरम रुख अपना रहा है और बिना शर्त वापसी की बात कर रहे हैं, लेकिन गेंद शीर्ष नेतृत्व के पाले में डाल रहा है.

कांग्रेस में कुछ नेताओं की वापसी हो चुकी

दरअसल, विधानसभा चुनाव में बागी बनकर चुनाव लड़ने वाले कुछ नेताओं को हाल ही में कांग्रेस में वापस करने में कामयाब रहे. इनमें पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल, बाड़मेर के पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान, ओम बिश्नोई, सुनील परिहार और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले मुख्तार जैसे नाम शामिल हैं. सियासी परिस्थितियों और संगठन की मजबूती को देखते हुए प्रदेश नेतृत्व ने इन बागी नेताओं को कांग्रेस में दोबारा शामिल कर लिया था, लेकिन अमीन खान और मेवाराम जैन जैसे दिग्गजों की रास्ते नहीं बना रहे हैं.

अमीन खान से लेकर मेवाराम जैन ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं. इसके बाद भी उनकी वापसी का रास्ता नहीं बना रहा है. पिछले दिनों कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के एक मंच पर अमीन खान और मेवाराम जैन की मौजूदगी के बाद बाड़मेर में विरोधी गुटों ने विरोध शुरू कर दिया.

अमीन खान को लेकर बाड़मेर में पहले से गुटबाजी चली आ रही है, हरीश चौधरी खेमे के साथ उनकी अदावत जगजाहिर है. विधानसभा चुनाव के दौरान हरीश चौधरी के नजदीकी फतेह खान ने अमीन खान के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिससे अमीन खान को हार का सामना करना पड़ा. अमीन खान ने इसकी पूरी जिम्मेदारी हरीश चौधरी पर डालते हुए खुलकर विरोध भी किया. इसके बाद ही पार्टी ने अमीन खान को बाहर कर दिखा दिया है और अब वापसी करना चाहते हैं तो हरीश चौधरी का खेमा विरोध कर रहा है. इसी तरह से दूसरे नेताओं की वापसी में भी सियासी अड़चन आ रही है.

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