अबतक इंडिया न्यूज 19 जून । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार हैं. उन्होंने इस प्लान को तो मंजूर कर दिया है, लेकिन अंतिम और आधिकारिक आदेश नहीं दिया है. किसी भी आदेश से पहले वे देखना चाहते हैं कि क्या ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ने को तैयार होता है या नहीं. यह जानकारी अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में सामने आई है, जिसमें ट्रंप के करीबी सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने खुद भी मंगलवार देर रात अपने वरिष्ठ सलाहकारों को बताया कि उनके पास ‘हर स्थिति के लिए योजना’ तैयार है, लेकिन वे अंतिम फैसला अभी नहीं लेना चाहते. ट्रंप ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘मेरे पास हर चीज के लिए योजना है, कुछ भी हो सकता है.’
ट्रंप ने अपने बयान में ईरान को लेकर नाराजगी भी जताई. उन्होंने कहा, ‘उन्हें समझौता कर लेना चाहिए था. मेरे पास उनके लिए बेहतरीन डील थी. हम 60 दिन तक बात करते रहे और अंत में उन्होंने मना कर दिया. अब वे पछता रहे हैं. वे वाइट हाउस आना चाहते हैं, मैं शायद मिलने के लिए तैयार हो जाऊं- कुछ भी हो सकता है.’ रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान पर संभावित हमले की आशंका ने ट्रंप के समर्थकों के बीच मतभेद खड़े कर दिए हैं. राष्ट्रपति बनने में अहम भूमिका निभाने वाले ‘अमेरिका फर्स्ट’ कैंप के कई लोग अब ट्रंप से असहमत नजर आ रहे हैं.ट्रंप के फैसले से पार्टी के लोग नहीं खुश
ट्रंप के करीबी और रणनीतिकार स्टीव बैनन ने तो साफ शब्दों में चेताया, ‘हम फिर से ऐसा नहीं कर सकते. हम देश को फिर से नहीं तोड़ सकते. एक और इराक नहीं चाहिए.’ बैनन ने यह बयान वॉशिंगटन में क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर के एक इवेंट में दिया. ईरान पर कार्रवाई के लिए अमेरिका की जो योजना सामने आई है, उसमें इजराइल की सैन्य मदद भी शामिल हो सकती है. यहां तक कि ‘बंकर बस्टर’ जैसे शक्तिशाली बम का इस्तेमाल भी संभव है. इस कदम को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के कई नेताओं में गहरी चिंता है.
न्यूक्लियर साइट पर हमले की तैयारी?
वहीं ताजा घटनाक्रम में, इजराइली सेना ने ईरान के अराक हैवी वॉटर रिएक्टर के आसपास रहने वाले लोगों को तत्काल क्षेत्र खाली करने की चेतावनी दी है. यह चेतावनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर दी गई जिसमें सैटेलाइट इमेज के साथ संभावित टारगेट को रेड सर्कल में दिखाया गया. अराक रिएक्टर, जो तेहरान से लगभग 250 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है, एक भारी जल संयंत्र है जहां से प्लूटोनियम जैसे परमाणु हथियारों में प्रयोग हो सकने वाले पदार्थ पैदा हो सकते हैं. ऐसे में यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम का एक दूसरा रास्ता माना जा रहा है.