अबतक इंडिया न्यूज 10 जून । सिंधु जल समझौता निलंबित करने के बाद पश्चिमी नदियों (झेलम-चिनाब-सिंधु) का पानी पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोककर सिंधु चिनाब का पानी राजस्थान लाने का काम तेजी से किया जा रहा है. जलशक्ति मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने चिनाब, रावी, व्यास और सतलज लिंक नहर परियोजना के निर्माण के लिए प्री-फिजिबिलिटी अध्ययन शुरू कर दिया है.
सरकार की योजना के मुताबिक, चिनाब का पानी चिनाब रावी व्यास सतलज लिक नहर बनाकर पंजाब के हरिके बैराज तक पानी लाया जाए और उससे आगे मौजूदा सिस्टम का उपयोग किया जाए. शुरुआत में 200 किलोमीटर नहर और 12 सुरंगें बनाकर पश्चिमी नदियों के पानी उपयोग किया जाएगा.
भारत सरकार ने सिंधु नदी बेसिन से जुड़े सभी काम को तेजी से करने की मंजूरी देने का फैसला लिया है. ऐसे में जल्द ही पर्यावरण मंजूरी देने की बात कही गई है. सिंगल विंडो सिस्टम पर काम हो रहा है. सिंधु नदी बेसिन से जुड़े एक-एक प्रोजेक्ट पर भारत आगे बढ़ेगा और पाकिस्तान जा रहा पानी बंद किया जाएगा.
वहीं, नई योजना में पश्चिमी नदियों के पानी को पंजाब, हरियाणा होते हुए राजस्थान की इंदिरा गांधी नहर तक लाया जाएगा. कहा जाता है कि विस्तारित योजना में अतिरिक्त पानी को नहरों से यमुना नदी के साथ मिलाने की चर्चा की जा रही है. शुरू में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की नहरों की पानी की क्षमता बढ़ाने, लीकेज रोकने और गाद निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है.
जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, जम्मू, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मौजूदा नहर संरचनाओं का आकलन करना शुरू हो गया है. इससे जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को फायदा होगा.
झेलम नदी पर उरी बांध, चिनाब नदी पर दुलहस्ती, सलाल और बगलीहार बांध और सिंधु नदी पर नीमू बाजगो और चुटक बांधों से गाद निकालने, क्षमता बढ़ाने की योजना. किशनगंगा, रतले, पाकल दुल और तुलबुल परियोजनाओं पर तेजी से काम होगा.
कहा जा रहा है कि इस योजना को पूरा होने में कम से कम तीन साल लगेंगे. हालांकि सरकार इस काम जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इस योजना को पूरा करने में दो से ढाई साल लग जाएंगे.