June 21, 2025 1:47 am

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राजस्थान के DGP यूआर साहू को बनाया गया RPSC का अध्यक्ष, राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने जारी किए आदेश

अबतक इंडिया न्यूज 10 जून । राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे (Haribhau Bagade) ने मंगलवार सुबह पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू (Utkal Ranjan Sahu) की नियुक्ति राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष (RPSC Chairman) पद पर कर दी है. साहू की इस नियुक्ति से राजस्थान पुलिस में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है. राजस्थान के नए DGP की रेस में संजय अग्रवाल और राजीव शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक, पैनल के नाम मंजूरी के लिए दिल्ली भेज दिए गए हैं और जल्द ही बड़े बदलाव का ऐलान हो सकता है.

1988 बैच के IPS अफसर

उत्कल रंजन साहू साल 1988 बैच के आईपीएस अफसर हैं. वे मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी पुलिस सेवा की शुरुआत 18 नवंबर 1991 को जोधपुर ASP पद से शुरू की थी. इसके बाद वे सीकर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर, भीलवाड़ा, धौलपुर व जोधपुर जिले में SP पद पर भी रहे हैं. जून 2020 में ही उन्हें डीजी रैंक पर प्रमोशन मिला था. इससे पहले वो लगभग 2.5 साल तक डीजी (डायरेक्टर जनरल) होमगार्ड पद पर तैनात थे.

2024 में बने थे स्थायी DGP

29 दिसंबर 2023 को साहू को राजस्थान के डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था, जब राज्य के तत्कालीन डीजीपी उमेश मिश्रा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. लेकिन 10 फरवरी 2024 को कार्मिक विभाग ने आदेश जारी करते हुए उत्कल रंजन साहू को राजस्थान का स्थायी DGP बना दिया था. उनकी 2 साल के लिए इस पद पर नियुक्ति हुई थी.

गहलोत ने कल ही उठाया था मुद्दा

राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक दिन पहले ही RPSC चेयरमैन की नियुक्ति का मुद्दा उठाया था. उन्होंने एक्स पर लिखा था- ‘भाजपा के नेताओं ने चुनाव से पूर्व युवाओं को गुमराह करने एवं हमारे ऊपर झूठे आरोप लगाकर भ्रम फैलाने के लिए RPSC में सकारात्मक परिवर्तन कर परीक्षा एवं भर्ती प्रक्रिया को तेज करने का वादा किया था. दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि भाजपा सरकार 10 महीने में RPSC का नया चेयरमैन तक नियुक्त नहीं कर सकी है और न ही सदस्यों के रिक्त पदों को भर सकी है. यहां तक की पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार हुए एक निलंबित सदस्य तक को बर्खास्त नहीं करवा सकी है. RPSC में रिक्त पदों के कारण भर्तियों में समय लग रहा है. जिन भर्तियों में इंटरव्यू हो रहे हैं उनमें कई-कई महीने लग जा रहे हैं और बेरोज़गार युवाओं का इंतजार लम्बा होता जा रहा है. यह भाजपा की कथनी और करनी का अंतर है जिससे युवाओं में आक्रोश है.’

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