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झालावाड़ दुखांतिका का दोषी कौन ..? सरकार या नकारा प्रशासन… क्या मुआवजे की घोषणा से हो गई कर्तव्य की इतिश्री ..?

अबतक इंडिया न्यूज 25 जुलाई । ( लक्ष्मीनारायण शर्मा )झालावाड़ के पिपलोदी स्कूल की छत ढहने से सात नौनिहालों की दर्दनाक मौत से पूरा प्रदेश सदमे में है।इस दुखांतिका ने शासन व प्रशासन के खोखले कागजी दावों की पूरी पोल खोल दी।लेकिन वो मंजर …गोद मे घायल बच्चे…बदहवास भागते अभिभावक…चीखते -बिलखते मां-बाप…जिंदगी व मौत के बीच की लड़ाई…शब्द निशब्द है…कलम हैरान है…क्या लिखूं इन बेशर्म जिम्मेदारों के लिए? दुखांतिका के बाद चला बयानों के जरिए दुख जताने के दौर।
सरकार के बयानवीर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूल के शिक्षकों को निलंबित कर प्रारंभिक दायित्व का निर्वहन की औपचारिकता की रस्म तो अदा कर ली।लेकिन क्या यह पर्याप्त है ?
      जब स्कूल की बच्ची ने टीचर को छत से कंकड़ गिरने की शिकायत की थी, लेकिन टीचर महोदय नाश्ते के चटखारे लेने में मशगूल रहे।अगर गंभीरता से संज्ञान लेते तो आज सातों नौनिहाल जीवित होते।यह केवल लापरवाही नही हो सकती, यह हत्या है। 
      जर्जर स्कूल भवन को जिस स्थानीय विभाग ने जर्जर शून्य सूचीबद्ध किया उनके खिलाफ अब क्या कार्यवाही होगी? इससे भी ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि जिस विभाग ने 2022-23 में इस छत की मरम्मत का काम करवाया।जिस अधिकारियों की देखरेख में ठेकेदार ने मरम्मत कार्य किया उसकी गुणवत्ता की रिपोर्ट किसने जारी की?अब जांच में उनकी जिम्मेदारी तय होगी ? होगी तो क्या होगी ?क्या उन्हें नौनिहालों की मौत का जिम्मेदार माना जायेगा ?

शिक्षा निदेशक का बयान

हादसे पर शिक्षा निदेशक सीताराम जाट का बयान हैरान करने वाला है. उन्होंने कहा, “बारिश का समय है, पुरानी इमारतों में हादसे का डर रहता है. हम स्कूलों को सावधान करते रहते हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि हर साल स्कूलों से भवन सुरक्षा की जानकारी ली जाती है.

हादसे के बाद सरकार ने एक बार फिर स्कूलों को सुरक्षित करने के लिए पत्र जारी किया है. लेकिन सवाल यह है कि जब पहले से ही निर्देश दिए जा रहे हैं, तो फिर हादसे क्यों हो रहे हैं? क्या सरकारी तंत्र की लापरवाही बच्चों की जान को खतरे में डाल रही है?

 

      मुआवजा या राजनीतिक मरहम.. ?

सात नौनिहालों की मौत की दुखांतिका पर शिक्षा मंत्री ने दस -दस लाख मुआवजा व संविदा पर नौकरी का ऐलान तो कर दिया,लेकिन क्या इससे कर्तव्य पूर्ण हो गया ? अभी भी प्रदेश की 900 स्कूले जर्जर स्थिति में है। ऐसी दुखांतिका की पुनरावृत्ति नही होगी इसको लेकर शिक्षा विभाग व सरकार के पास क्या पुख्ता मास्टर प्लान है? या फिर कोई ऐसी दुखांतिका पर फिर से मुआवजा की रस्म ही अदा की जायेगी।यह विद्यार्थियों के जीवन सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है।कागजो में घोषित करोडों रुपए के बजट का धरातल पर क्रियान्विति कब होगी ? कहीं यह बजट रसूखदारों व जिम्मेदारों के बीच बंदरबांट की भेंट न चढ़ जाए ?

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