अबतक इंडिया न्यूज 19 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 समिट में हिस्सा लेने के लिए 17 जून को कनाडा पहुंचे थे. पीएम मोदी का ये दौरा 23 घंटे का था. 2015 के बाद वह पहली बार कनाडा की यात्रा पर गए. प्रधानमंत्री के इस दौरे से कनाडा और भारत के रिश्ते फिर से पटरी पर लौटने लगे हैं. कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जिन खालिस्तानियों के लिए भारत से संबंध बिगाड़ लिए थे, उन्हीं खालिस्तानियों की अब मार्क कार्नी की सरकार में हालत पतली होने लगी है. दरअसल, कनाडा ने बुधवार को स्वीकार कर लिया है कि खालिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं. उसने इस बात को पीएम मोदी के दौरे के 24 घंटे के बाद ही स्वीकारी है.
कनाडा की शीर्ष खुफिया एजेंसी कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने खुलासा किया है कि खालिस्तानी भारत को मुख्य रूप से निशाना बनाकर हिंसा की घटनाओं को बढ़ावा देने, धन जुटाने और योजना बनाने के लिए कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं. CSIS ने पहली बार आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा किया है.
भारत जताता रहा है चिंता
बता दें कि भारत कई वर्षों से कनाडा में खालिस्तानियों की हरकत पर चिंता जताता रहा है. नई दिल्ली का कहना रहा है कि कनाडा भारत विरोधी तत्वों के लिए एक सेफ हाउस बन गया है. लेकिन ट्रूडो की सरकार ने इस मुद्दे पर आंखें मूंद ली थी. हालांकि, अब कनाडा की एजेंसी ने उस बात की पुष्टि कर दी है जो नई दिल्ली लंबे समय से कहती रही है.
भारत तर्क देता रहा है कि कनाडा भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा है. अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन भारत की चिंता का विशेष केंद्र रहा है, जिसकी जड़ें 1985 में एयर इंडिया बम विस्फोट और उसके बाद भारत में हुई आतंकवादी गतिविधियों के बाद हैं. भारत की चिंताओं के बीच कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की 2023 में हुई हत्या के लिए ट्रूडो भारत को घेरते रहे थे. हालांकि कनाडा के आरोपों को भारत खारिज करता रहा है. ट्रूडो का खालिस्तान प्रेम सियासी तौर पर उनको ले भी डूबा. उनको सत्ता से हाथ धोना पड़ा. उनके जाने के बाद मार्क कार्नी पीएम की कुर्सी पर काबिज हैं.
खालिस्तानियों के खिलाफ एक्शन
भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल खालिस्तानियों को पकड़ने के लिए सरकार ने Project Pelican नाम से एक ऑपरेशन भी चलाया. इसी अभियान के तहत कनाडाई पुलिस ने एक बड़े ड्रग और आतंकवादी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था, जिसके खालिस्तान समर्थकों से संबंध हैं. पुलिस के अनुसार, यह समूह अमेरिका और कनाडा के बीच कर्मशियल ट्रकिंग रूट का इस्तेमाल करता था. इसके संबंध मैक्सिकन ड्रग कार्टेल और अमेरिकी डिस्ट्रिब्यूटर से थे. बताया गया कि ड्रग व्यापार से प्राप्त धन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों जैसे विरोध प्रदर्शन, जनमत संग्रह और हथियारों की खरीद के लिए किया जा रहा है.
कार्नी के आने के बाद सुधरे संबंध
कार्नी के सत्ता में आने के बाद भारत और कनाडा के संबंध सुधर रहे हैं. 10 साल बाद पीएम मोदी कनाडा पहुंचे. उन्होंने कार्नी से मुलाकात भी की. आधिकारिक बयानों के अनुसार दोनों नेताओं ने उच्चायुक्तों की नियुक्ति करने और लंबे समय से रुकी हुई व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई. दोनों नेताओं ने तकनीक, डिजिटल संक्रमण, खाद्य सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने के अवसरों पर भी चर्चा की.
निज्जर पर क्या बोले थे कार्नी?
मार्क कार्नी से पूछा गया था कि क्या उन्होंने मंगलवार को जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से कनाडा की धरती पर निज्जर की हत्या के बारे में बात की थी. इस सवाल के जवाब में कार्नी ने कहा, हमने इस बारे में चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी और मैंने, कानून लागू करने के लिए कानून प्रवर्तन के बीच सीधा सहयोग करने के महत्व, अंतरराष्ट्रीय दमन को संबोधित करने के महत्व के बारे में चर्चा की है.
कार्नी ने कहा है कि उन्हें खालिस्तान समर्थक सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है.