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राजस्थान बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत, 25 साल में पहली बार घटाया गया शुल्क

अबतक इंडिया न्यूज 3 अक्टूबर । राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है. 25 साल बाद पहली बार राज्य के डिस्कॉम्स ने विद्युत शुल्क में कमी की है. जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम्स ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अप्रैल में राजस्थान विद्युत नियामक आयोग के समक्ष टैरिफ याचिका दायर की थी जिस पर शुक्रवार (3 अक्तूबर) को निर्णय सुनाया गया. आयोग ने लागत और खर्च के दबाव के बावजूद टैरिफ को सरल बनाने और उपभोक्ताओं के हित को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है.

घरेलू उपभोक्ताओं के लिए राहत

0 से 50 यूनिट तक खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए दर 4.75 रुपये प्रति यूनिट यथावत रखी गई है. 51 से 150 यूनिट खपत करने वालों को 50 पैसे प्रति यूनिट और 150 से 300 यूनिट वालों को 35 पैसे प्रति यूनिट की राहत दी गई है. राज्य में 1.35 करोड़ घरेलू उपभोक्ता हैं. इनमें से 1.04 करोड़ उपभोक्ता मुख्यमंत्री निशुल्क बिजली योजना के दायरे में हैं और इनमें से 62 लाख उपभोक्ता हर महीने 100 यूनिट तक खपत करते हैं. इनका बिल पहले की तरह शून्य ही रहेगा. इन पर प्रस्तावित रेगुलेटरी सरचार्ज का भी असर नहीं पड़ेगा, इसे राज्य सरकार वहन करेगी.

उद्योगों के लिए एक समान दर

पहली बार उद्योगों के लिए एक समान टैरिफ लागू किया गया है. वृहद् उद्योगों की दर 7.30 रुपये से घटाकर 6.50 रुपये प्रति यूनिट और मध्यम उद्योगों की दर 7 रुपये से घटाकर 6.50 रुपये कर दी गई है. स्मॉल इंडस्ट्री की दर 6 और 6.45 रुपये को मिलाकर एक समान 6 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है. इससे औद्योगिक श्रेणी में एकरूपता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा.

किसानों को भी राहत

20 लाख से अधिक कृषि उपभोक्ताओं के लिए दर 5.55 रुपये से घटाकर 5.25 रुपये प्रति यूनिट की गई है. किसानों पर रेगुलेटरी सरचार्ज का भार भी राज्य सरकार वहन करेगी.

रेगुलेटरी असेट्स का बोझ और उपाय

राजस्थान डिस्कॉम्स पर इस समय 49,800 करोड़ रुपये का रेगुलेटरी असेट्स बोझ है. यह वह घाटा है जिसे आयोग ने तो मान्यता दी है लेकिन उपभोक्ताओं पर बोझ न डालने के कारण टैरिफ के जरिये वसूली की अनुमति नहीं दी. इस घाटे की भरपाई के लिए बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा है जिससे ब्याज का दबाव बढ़ रहा है. अब रेगुलेटरी सरचार्ज से करीब 6,700 करोड़ रुपये की वसूली होगी, जिससे घाटा कम होगा और उपभोक्ताओं पर ब्याज का अतिरिक्त बोझ भी घटेगा.

नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर

डिस्कॉम्स ने पावर परचेज कॉस्ट कम करने के लिए सौर ऊर्जा पर जोर दिया है. कुसुम योजना के तहत 1,800 मेगावाट से अधिक विकेंद्रित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो चुके हैं. 22 जिलों में किसानों को दिन के समय दो ब्लॉक में बिजली आपूर्ति दी जा रही है. लक्ष्य है कि प्रदेश में 12,000 मेगावाट क्षमता विकसित की जाए.

राजस्थान की लागत सबसे अधिक

राजस्थान में औसत विद्युत आपूर्ति लागत 7.96 रुपये प्रति यूनिट है, जो मध्यप्रदेश, आंध्र और यूपी से अधिक है. इसका कारण भौगोलिक परिस्थितियां, थर्मल यूनिट्स के लिए बाहर से कोयला मंगवाना और छितरे हुए गांव-ढाणियों तक नेटवर्क पहुंचाने की भारी लागत है. उदाहरण के लिए जोधपुर डिस्कॉम को एक कृषि कनेक्शन देने पर औसतन 3.79 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि उपभोक्ता से वसूली सिर्फ 39,500 रुपये होती है.

अन्य राज्यों से तुलना

लागत अधिक होने के बावजूद राजस्थान में अधिकतम बिजली शुल्क आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों से कम है. घरेलू उपभोक्ताओं के लिए यहां 7.50 रुपये, वाणिज्यिक के लिए 8.50 रुपये और औद्योगिक के लिए 6.50 रुपये अधिकतम दर तय की गई है.

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