अबतक इंडिया न्यूज 1 सितंबर । BRICS, यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह, अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में 38% हिस्सेदारी के साथ G-7 के 28% योगदान को पीछे छोड़ चुका है. यह बदलाव वैश्विक आर्थिक शक्ति में एक बड़ा उलटफेर दर्शाता है, जिसने अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सकते में डाल दिया है.
एकजुट हुआ BRICS
BRICS की इस ताकत का केंद्र है भारत और चीन जैसे तेजी से उभरते देश हैं. भारत अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था और कूटनीतिक रणनीति के साथ BRICS को नई दिशा दे रहा है. जुलाई 2025 में रियो डी जनेरियो में हुए 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया कि 2026 में भारत की अध्यक्षता में BRICS को नया रूप दिया जाएगा, जो सहयोग, नवाचार और स्थिरता पर आधारित होगा.
जी-7 की घटी हिस्सेदारी
G-7, जिसमें अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और कनाडा शामिल हैं, लंबे समय से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हावी रहा है. लेकिन अब BRICS, जिसमें हाल ही में मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हुए हैं, तेजी से उभर रहा है. BRICS देश दुनिया की 49.5% आबादी और वैश्विक जीडीपी में करीब 38% हिस्सेदारी रखते हैं. दूसरी ओर, G-7 की हिस्सेदारी, जो 1980 में 50% थी, अब घटकर 28.5% रह गई है.
अमेरिकी अर्थशास्त्री ने चेताया
अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ का कहना है कि भारत का रूस से तेल खरीदना और अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करना यह दिखाता है कि वैश्विक शक्ति का संतुलन अब BRICS की ओर झुक रहा है. ट्रंप ने BRICS देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, खासकर अगर ये देश नई मुद्रा लाने की कोशिश करेंगे. BRICS की ताकत सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी है. यह समूह संयुक्त राष्ट्र, IMF और विश्व बैंक जैसे संस्थानों में सुधार की मांग कर रहा है, ताकि विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व मिले. ट्रंप की टैरिफ नीतियां BRICS को और एकजुट कर रही हैं, जिससे अमेरिका की वैश्विक आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ रही है.