अबतक इंडिया न्यूज 15 अक्टूबर । पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में सीमा क्षेत्र पर एक भीषण झड़प हुई है. रूस-यूक्रेन और इसराइल-हमास के बाद अब इन दो देशों में भी युद्ध लगभग छिड़ चुका है. अब इसी बीच सवाल यह उठ रहा है कि अफगानिस्तान को हथियार कौन दे रहा है और साथ यह भी की तालिबान को आखिर कौन सपोर्ट कर रहा है. आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब.
अफगानिस्तान की सैन्य क्षमताएं
ग्लोबल फायर पावर 2025 इंडेक्स में 145 देशों में 118 वें स्थान पर होने के बावजूद भी तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान ने एक मजबूत सेना तैयार की है. तालिबान ने अपनी सेना का विस्तार लगभग 2 लाख लड़ाकों तक कर लिया है. यह लड़ाके गोरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित हैं. यह सभी अचानक हमलें, गुप्त युद्ध अभ्यास और पहाड़ी इलाकों के अनुकूल तेज अभियानों में काफी ज्यादा कुशल हैं.
सोवियत और अमेरिकी हथियारों पर निर्भरता
अफगानिस्तान के हथियारों में मुख्य रूप से सोवियत संघ से प्राप्त पुराने टैंक और बख्तरबंद वाहन शामिल हैं. इन्हें 2021 के बाद अमेरिकी सेना ने छोड़ दिया था. ऐसा कहा जाते हैं कि अफगान सेना के पास 50 से ज्यादा मुख्य युद्ध टैंक, 300 से ज्यादा बख्तरबंद वाहन और लगभग 300 तोप हैं.
सीमित वायु रक्षा क्षमताएं
तालिबान की वायु रक्षा क्षमता न्यूनतम है. अफगानिस्तान के पास A 29 सुपर टुकानो जैसे लगभग 26 हलके हमलावर विमान, 30 हेलीकॉप्टर और 15 परिवहन विमान हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक कुल लड़ाकू विमानों की संख्या 40 है.
तालिबान के लिए हथियारों के स्रोत
तालिबान को हथियार अफगानिस्तान से जब्त करने के बाद मिले हैं. दरअसल पिछले 40 सालों से ज्यादा समय से चल रहे लगातार युद्धों ने अफगानिस्तान में भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद का भंडार जमा कर दिया था. इस भंडार को बाद में तालिबान ने जब्त कर लिया. इसके अलावा सीमा पर अवैध हथियारों के व्यापार ने छोटे हथियार, विस्फोटक और बाकी युद्ध संबंधित जरूरी सामग्री की आपूर्ति की.
पाकिस्तान के खिलाफ तालिबान कैसे मजबूत है
दरअसल तालिबान गुरिल्ला युद्ध के कौशल और पश्तून आबादी के समर्थन से पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहा है. तालिबान अपनी खुद की क्षमताओं की वजह से ही पाकिस्तान पर एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. इसी के साथ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ भी तालिबान के संबंध हैं. पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान की बढ़ती ताकत से निपटना पड़ रहा है और साथ ही आंतरिक क्षेत्र में समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. इसी चीज का फायदा तालिबान उठा रहा है.