अबतक इंडिया न्यूज 26 अगस्त । 27 अगस्त बुधवार को गणेश चतुर्थी है. इस दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं. 10 दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी के पहले दिन गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना करते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं. लेकिन गणेश चतुर्थी के अवसर पर चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होता है. इस दिन गणेश मूर्ति के चयन में कुछ बातों का ध्यान रखते हैं. आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना की विधि, मुहूर्त, मंत्र और शुभ योगों के बारे में.
गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के लिए भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की मान्यता है. पंचांग के अनुसार, 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी.
गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना का मुहूर्त दिन में 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक है. मूर्ति स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त भी अच्छा होता है. लेकिन इस बार गणेश चतुर्थी पर अभिजीत मुहूर्त नहीं है.
गणेश चतुर्थी पर बनेंगे 4 शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग: 05:57 ए एम से 06:04 ए एम तक
रवि योग: 05:57 ए एम से 06:04 ए एम तक
शुभ योग: प्रात:काल से लेकर दोपहर 12:35 पी एम तक
शुक्ल योग: दोपहर 12:35 पी एम से 28 अगस्त को दोपहर तक
गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना विधि
इस साल गणेश चतुर्थी पर पूजा और स्थापना के लिए 2 घंटे 34 मिनट का शुभ मुहूर्त है. गणपति स्थापना के लिए आप मिट्टी से बनी मूर्ति खरीदें, जिसमें गणेश जी के आंख, नाक और अन्य सभी अंग अच्छे से बने हों. ये भी ध्यान रहे कि मूर्ति खंडित न हो. भगवान गणेश के साथ उनका वाहन मूषक भी हो.
गणेश चतुर्थी को आप स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें. उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. फिर पूजा स्थान की सफाई कर लें, जहां पर गणेश जी की मूर्ति स्थापना करनी है. उसके बाद ईशान कोण, पूर्व या उत्तर दिशा का चयन करें, जिधर गणेश जी का मुख होगा.
वहां पर एक लकड़ी की चौकी रखें. उस पर एक पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. उसके बाद अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।। मंत्र उच्चारण करते हुए गणेश जी का आह्वान करें. फिर गणपति बप्पा का जयकारा लगाकर चौकी पर स्थापित करें.
फिर गणेश जी का पंचामृत स्नान कराएं और उनको वस्त्र चढ़ाएं. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ इस मंत्र को पढ़ते हुए अक्षत्, चंदन, सिंदूर, फल, लाल फूल, माला, जनेऊ, दूर्वा, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची आदि गणेश जी को अर्पित करें.
गणपति बप्पा को मोदक, लड्डू, केला, सेब आदि का भोग लगाएं. इसके बाद गणेश चालीसा और गणेश चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें. घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें. बप्पा से कष्टों को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें. फिर प्रसाद वितरण करें.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Abtakindianews.com इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)