August 28, 2025 1:27 am

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साधुमार्गी जैन समाज के चातुर्मास में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हुआ प्रवचन

अबतक इंडिया न्यूज देशनोक 16 अगस्त । साधु मार्गी जैन समाज का देशनोक में चल रहे चातुर्मास में आचार्य भगवन 1008 श्री राम लाल  म.सा. ने आज अपने प्रवचन में पार्श्वनाथ भगवान की स्तुति करते हुए फ़रमाये की पार्श्वनाथ भगवान 7 वे तीर्थंकर हुए, सुपार्श्व शब्द का अर्थ क्या ? प्रतियुतर में बताया की ”पार्श्व” का अर्थ : समिप, पास, पड़ोस में रहना व ”सू” का अर्थ: अच्छा, अथार्थ हमे कैसा पड़ोस चाहिए – अच्छा, हम भी किसी के पड़ोसी हैं, हम को अच्छा पड़ोस चाहिए, लेकिन आपके पड़ोसी को अच्छा पड़ोस मिला या नहीं ये चिंतन का विषय हैं अत: हम अच्छे पड़ोसी बन पाए या नहीं ।
आज कृष्ण जन्माष्टमी के प्रसंग पर गुरुदेव ने व्याख्यान में फरमाया की श्री कृष्ण वासुदेव का जन्म आज रात्रि में हुआ जिसे हम जन्माष्टमी नाम से जानते है भगवान कृष्ण के जन्म का समय हम सबको ज्ञात ही हैं बरसात हो रही थी, बादल छा रखे थे, देवकी जेल में, संगीन पहेरा लगा हुआ था, क्या होगा कैसे होगा? बहुत सारे प्रश्न सामने खड़े थे लेकिन देवकी महारानी निश्चित थी क्युकी उसको मुनि के वचनों पर विश्वास था कि कंश नाम के आंतक का अंत 7 वी संतान से होना हैं । देवकी ने वासुदेव से कहा आप कैसा भी पुरुषार्थ करके इसको ले जाओ और पुरुषार्थ से वासुदेव को बिना रुकावट के रास्ता मिलता गया । अत: हमे पुरुषार्थ करते रहना चाहिए कर्म करते रहना चाहिए कभी हताश न्ही होना चाहिए, फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। सम्यक भाव से पुरुषार्थ करने से सफलता निश्चित मिलती हैं, सफलता के प्रति यदि मन में संदेह हो रहा हैं तो समझो पुरुषार्थ मंद हैं । जितने भी महापुरुष हुए हैं उनके जीवन से एक सीख जरूर मिलेगी वो हैं पुरुषार्थ ।

यह कृष्ण जयंती आई है
अंतर में ज्योति जगाई हैं ।
शीशु पाल का सरदारा हैं
आत्म लक्ष्मी घर नारा हैं
उसको क्या घुल चटाई हैं
यह कृष्ण जयंती आई हैं ।
यह नाग कालिया क्रोधी हैं
वह समता का अवरोद्धि हैं
करुणा की बंशी बजाई हैं
यह कृष्ण जयंती आई हैं ।

आचार्य श्री  ने इस गीतिका के माध्यम से श्री कृष्ण वासुदेव के समक्ष जो 6 बड़े अवरोध उठे हैं वो काम, क्रोध, मद, मात्सर्य, मोह, तृष्णा के रूप में थे और इन्हीं के आधार पर शिशुपाल, कालिया नाग, पूतना बाई, जरासंध, कंश जैसे श्री कृष्ण के जीवन में 6 दुश्मन रहे उनकी व्याख्या की ।
आज गंगाशहर निवासी मुमुक्षु बहन सुश्री तरुणा  दुगड़ सुपुत्री हिरा लाल  दुगड़ का आज्ञा पत्र गुरु चरणों में समर्पित हुआ। आचार्य श्री  ने प्रवचन में फरमाया की मुमुक्षु बहन तारुणा जी दुगड़ के वैराग्य का कारण उन्ही के परिवार से दीक्षित शासन दीपक  रोहित मुनि  म.सा. की प्रेरणा से रहा, गुरु देव ने महती कृपा करके मुमुक्षु की दीक्षा 3 नवम्बर के लिए स्वीकृति प्रदान की हैं, अब तक देशनोक चतुर्मास में आगामी सम्पन्न होने वाली ये 12 वी दीक्षा होगी ।

महिलाओं का दो दिवसीय राष्ट्रीय शिविर “स्वर्ण कुंभ” जिसका आज अंतिम दिवस हैं । और आज से दो दिवसीय साधुमार्गी प्रोफेशनल फ़ोरम (SPF) शिविर का शुभारंभ हुआ हैं जिसमे आज शाम 8:00 बजे बंसल होटल में पैनल डिस्कशन का कार्यक्रम होने जा रहा हैं । तपस्वी आत्माए निरंतर तप में लीन हैं छोटी बड़ी अनेक तपस्याओ के प्रत्याख्यान प्रतिदिन गतिमान हैं ।
सभा का संचालन युवा संघ के महेंद्र सांड व महेश  नहटा ने किया ।

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